सोमवार, 5 जून 2017

रम्भा अप्सरा साधना

रम्भा अप्सरा साधना
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हर किसी के जीवन में कभी न कभी ऐसा वक्त आता है जब मन चाहता है कि काश हम इसको, अपने व्यक्तित्व से सम्मोहित या आकर्षित कर पाते। तो आज हम आपको बताने जा रहें हैं उस साधना के बारे में जिसे करके आप अपने में यह हुनर पैदा कर सकते हैं कि आप कभी भी कही भी किसी को भी अपनी ओर चुटकियो में आकर्षित कर लेंगे।
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रम्भा अप्सरा की सिद्धि प्राप्त करने पर, रम्भा साधक के जीवन में एक छाया के रूप में सदैव साथ रहती हैं और वह उसकी हर इच्छा को पूर्ण करती है। साधक मे किसी को भी सम्मोहित और आकर्षित करने की शक्ति आ जाती हैं। साधक का जीवन प्यार और खुशियों से भर जाता है। यह साधना 9 दिन की होती है जो रात में करी जानी चाहिए। यह साधना पूर्णिमा, अमावस्या या शुक्रवार को भी शुरू की जा सकती हैं।
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साधना करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ सुन्दर कपडे़ पहन कर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पीले रंग के आसन पर बैठ जायें। दो माला पुष्पों की रखें । अगरबत्ती और एक घी का दीपक जलाएं। सामने एक खाली धातु की कटोरी रखे। फिर दोनों हाथों में गुलाब की पंखुड़ियों ले और इस प्रकार पूजा करें। परम रुपसी रम्भा का ध्यान करते हुए 108 बार— “ह्रीं रम्भे आगच्छ आगच्छ” इन शब्दों से रम्भा का आवाहन करें आवाहन के बाद 11 माला मंत्र जप करें। मंत्र इस प्रकार है— “ह्रीं ह्रीं रं रम्भे आगच्छ आज्ञां पालय पालय मनोवांछितं देहि रं ह्रीं ह्रीं” जप के दौरान अपने ध्यान को विलास पूर्वक रम्भा के रुप में लगाये रखना चाहिए। पूजा स्थल को सुगंधित रखना चाहिए और अपने विचारों और चेष्टाओं में विलास का पुट रखना चाहिए। पूजा के बाद देवी का स्मरण कर उससे सदैव अपने साथ रहने का अनुरोध करना चाहिए। इस प्रकार नौ दिन तक लगातार उपासना करनी चाहिए। चौथे दिन से कुछ अनुभव होने लगते है और नौवे दिन साक्षात्कार का अनुभव होता है। अपना अनुभव किसी से शेयर नहीं करना चाहिए।

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