बुधवार, 7 जून 2017

धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना

धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना
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नाम से ही समझ में आता है की यह यक्षिणी साधक की सारी आर्थिक तंगी को दूर कर उसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है। अगर यह प्रसन्न हो जाये तो साधक कुबेर की भांती जीवन जीता है।
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विधि :
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साधना किसी भी शुभ दिन से शुरू करेँ या शुक्रवार से, शिवरात्रि में अच्छा मुहरत है। समय रात्रि दस के बाद का हो। आसन वस्त्र पीले या लाल हो। दिशा-उत्तर, अपने सामने बजोट पर उसी रंग का वस्त्र बिछाये जो आपने पहना है। एक ताम्र पात्र में बीज मंत्र “हूं” लिखे कुमकुम से और उसके ऊपर एक तील के तेल से भरा हुआ दीपक रखे। अब यथा संभव गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे, कोई भी शिवलिंग स्थापित करे वो न हो तो चित्र रख ले। कोई भी मिठाई या गुड अर्पण करेँ। दीपक का पूजन करेँ, तथा संकल्प ले की “में ये प्रयोग अपनी आर्थिक कष्ट मिटाने हेतु कर रहा हुँ, धनदा रति प्रिया यक्षिणी मुझ पर प्रस्सन हो कर मुझे आर्थिक लाभ प्रदान करेँ।”
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इसके बाद स्फटिक माला, रुद्राक्ष माला या मूंगा माला से, ॐ नमः शिवाय की एक माला करेँ और यक्षिणी मंत्र की कम से कम 11 माला जाप करेँ और उसके बाद पुनः एक माला ॐ नमः शिवाय की करेँ।
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इस तरह ये एक दिवस का प्रयोग आपको जीवन में कई लाभ प्रदान करेगा। साधक चाहे तो अधिक जाप भी कर सकता है। प्रसाद स्वयं खा लेँ। नित्य एक माला जाप करते रहे तो जीवन में आने वाले आर्थिक परिवर्तन को आप स्वयं देख लेना। जाप दीपक की और देखते हुए करेँ और दीपक का भी सामान्य पूजन करेँ, यक्षिणी का स्वरुप मानकर। यदि इसी साधना को लगातार 40 दिन किया जाये तो प्रत्यक्षीकरण हो जाता है। उसमेँ प्रतिदिन आप 21 माला करेँ। यदि आप उपरोक्त विधान नहीं कर रहे हैँ तो मात्र गुरु चित्र की और देखते हुए ही जाप कर ले तो अनुकूलता मिलने लगती है। इस साधना की यही खास बात है की इसमें ज्यादा ताम झाम नहीं है। मेरे एक प्रिय भाई के कहने पर ये साधना पोस्ट कर रहा हुं। क्योँकि उन्हें ज्यादा ताम झाम पसंद नहीं आता है।
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माँ आपको सफलता प्रदान करेँ। जय माँ।
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मंत्र :
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ॐ हूं ह्रीं ह्रीं ह्रीं धनदा रति प्रिया यक्षिणी इहागच्छ मम दारिद्रय नाशय नाशय सकल ऐश्वर्य देहि देहि हूं फट् स्वाहा॥

सोमवार, 5 जून 2017

रम्भा अप्सरा साधना

रम्भा अप्सरा साधना
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हर किसी के जीवन में कभी न कभी ऐसा वक्त आता है जब मन चाहता है कि काश हम इसको, अपने व्यक्तित्व से सम्मोहित या आकर्षित कर पाते। तो आज हम आपको बताने जा रहें हैं उस साधना के बारे में जिसे करके आप अपने में यह हुनर पैदा कर सकते हैं कि आप कभी भी कही भी किसी को भी अपनी ओर चुटकियो में आकर्षित कर लेंगे।
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रम्भा अप्सरा की सिद्धि प्राप्त करने पर, रम्भा साधक के जीवन में एक छाया के रूप में सदैव साथ रहती हैं और वह उसकी हर इच्छा को पूर्ण करती है। साधक मे किसी को भी सम्मोहित और आकर्षित करने की शक्ति आ जाती हैं। साधक का जीवन प्यार और खुशियों से भर जाता है। यह साधना 9 दिन की होती है जो रात में करी जानी चाहिए। यह साधना पूर्णिमा, अमावस्या या शुक्रवार को भी शुरू की जा सकती हैं।
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साधना करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ सुन्दर कपडे़ पहन कर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पीले रंग के आसन पर बैठ जायें। दो माला पुष्पों की रखें । अगरबत्ती और एक घी का दीपक जलाएं। सामने एक खाली धातु की कटोरी रखे। फिर दोनों हाथों में गुलाब की पंखुड़ियों ले और इस प्रकार पूजा करें। परम रुपसी रम्भा का ध्यान करते हुए 108 बार— “ह्रीं रम्भे आगच्छ आगच्छ” इन शब्दों से रम्भा का आवाहन करें आवाहन के बाद 11 माला मंत्र जप करें। मंत्र इस प्रकार है— “ह्रीं ह्रीं रं रम्भे आगच्छ आज्ञां पालय पालय मनोवांछितं देहि रं ह्रीं ह्रीं” जप के दौरान अपने ध्यान को विलास पूर्वक रम्भा के रुप में लगाये रखना चाहिए। पूजा स्थल को सुगंधित रखना चाहिए और अपने विचारों और चेष्टाओं में विलास का पुट रखना चाहिए। पूजा के बाद देवी का स्मरण कर उससे सदैव अपने साथ रहने का अनुरोध करना चाहिए। इस प्रकार नौ दिन तक लगातार उपासना करनी चाहिए। चौथे दिन से कुछ अनुभव होने लगते है और नौवे दिन साक्षात्कार का अनुभव होता है। अपना अनुभव किसी से शेयर नहीं करना चाहिए।

गुरुवार, 1 जून 2017

चमत्कारिक महाकाली शाबर मंत्र प्रयोग (एक मंत्र दस काम)

चमत्कारिक महाकाली शाबर मंत्र प्रयोग
(एक मंत्र दस काम)
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महाकाली शाबर मंत्र अत्यंत दुर्लभ और तीव्र प्रभावशाली है। इस मंत्र को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ विधि पूर्वक जपकर सिद्ध कर लिया जाये तो
साधक की सभी मनोकामनायें पूर्ण हो जाती है, और साधक संपूर्ण सुख, सौभाग्य, ऐश्वर्य एवं धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। साथ ही साथ समस्त प्रकार की बाधायें भी स्वतः ही दूर हो जाती है।
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मंत्र :
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सात पुनम कालका, बारह बरस क्वांर।
एको देवि जानिए, चौदह भुवन द्वार।।
द्वि-पक्षे निर्मलिए, तेरह देवन देव।
अष्टभुजी परमेश्वरी, ग्यारह रूद्र सेव।।
सोलह कला सम्पुर्णी, तीन नयन भरपुर।
दशों द्वारी तू ही माँ, पांचों बाजे नूर।।
नव-निधि षट्-दर्शनी, पंद्रह तिथि जान।
चारों युग मे कालका कर काली कल्याण।।
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इस मंत्र के द्वारा जन कल्याण तथा परोपकार भी किया जा सकता है। साधक इस मंत्र के द्वारा किसी भी बाधाग्रस्त व्यक्ति जैसे भूत प्रेतबाधा, आर्थिक बाधा, नजर दोष, शारीरिक मानसिक बाधा इत्यादि को आसानी से मिटा सकता है। यही नही बल्कि सम्मोहन, वशीकरण, स्तम्भन, उच्चाटन, विद्वेषण इत्यादि प्रयोग भी सफलता पूर्वक सम्पन्न कर सकता है।
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प्रयोग विधी :
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किसी भी होली, दीपावली, नवरात्रि, अथवा ग्रहण काल में इस प्रयोग को सिद्ध करना चाहिए। सर्वप्रथम निम्न सामग्रीयाँ जुटा लें। महाकाली यंत्र, महाकाली चित्र, कनेर का पीला फूल, भटकटैया का फूल, लौंग, इलायची, 3 निंबू, सिन्दूर, काले केवाच के 108 बीज धूप, दीप, नारियल, अगरबत्ती इत्यादी।
माता काली के मंदिर में या किसी एकान्त स्थान में इस साधना को सिद्ध किये जा सकते हैं।सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत होकर एक लकड़ी के तख्ते पर लाल वस्त्र बिछाकर महाकाली चित्र तथा यंत्र को स्थापित करें तत्पश्चात घी का चैमुखा दिया जलाकर गुरू गणेश का ध्यान कर गुरू स्थापन मंत्र तथा आत्मरक्षा मंत्र का प्रयोग करें। फिर भोजपत्र पर निम्न चैतीसा यंत्र का निर्माण करें तथा महाकाली यंत्र, महाकाली चित्र सहित चैंतीसा यंत्र का पंचोपचार या षोड़शोपचार से पूजन करे।
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पूजन के समय कनेर, भटकटैया के फूल को यंत्र चित्र पर चढ़ायें, नारियल इलायची, पंचमेवा का भोग लगायें, फिर तीनों निम्बूओं को काटकर सिन्दूर का टीका लगाकर अर्पित करें तत्पश्चात हाथ में एक-एक केवाच के बीजों को लेकर उक्त मंत्र को पढ़ते हुए काली के चित्र के सामने चढ़ाते जायें इस तरह 108 बार मंत्र जपते हुए केवाच के बीजों को चढ़ायें। मंत्र जप पुर्ण होने पर उसी मंत्र से 11 बार हवन करें। एक ब्राम्हण को भोजन करायें तथा यथाशक्ति दान दक्षिणा दें। फिर इस मंत्र का प्रयोग किसी भी इछित कार्य के लिये कर सकते हैं।
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भूत-प्रेत बधा निवारण :
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हवन के राख से किसी भी भूत-प्रेत ग्रस्त रोगी को सात बार मंत्र पढ़ते हुए झाड़ दें तथा हवन के राख का टीका लगा दें फिर भोजपत्र पर चैतिसा यंत्र को अष्टगंध से लिख कर तांबे के ताबीज में भर कर पहना दें तो भूत प्रेत बाधा सदा के लिए दूर हो जाता है।
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शत्रु बाधा निवारण :
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अमावस्या के दिन एक़़ निंम्बू लेकर उस पर सिंदुर से शत्रु का नाम लिखकर महाकाली मंत्र का उच्चारण करते हुये 21 बार 7 सुइयां चुभाये फिर उसे श्मशान मे ले जाकर गाड़ दें तथा उस पर शराब की धार चढ़ायें ऐसा करने से 3 दिनों मे शत्रु बाधा समाप्त हो जाती है।
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आर्थिक बाधा निवारण :
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महाकाली यंत्र के सामने घी का दीपक जलाकर महाकाली शाबर मंत्र का 21 बार जाप 21 दिनों तक करने से आर्थिक बाधा समाप्त हो जाता है।
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वशीकरण प्रयोग :
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पंचमेवा को 21 बार मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित कर जिसे खिला दें वह वशीभूत हो जाता है।
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विद्वेषण प्रयोग :
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3 केवाच के बीज कलिहारी का फूल तथा श्मशान की राख को मिलाकर 21 बार मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर जिसके घर के आने जाने वाले मार्ग में गाड़ दें उसका विद्वेषण हो जायेगा।
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उच्चाटन प्रयोग :
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एक केवाच के बीज भटकटैया के फूल और सिंदुर तीनों को मिलाकर मंत्र द्वारा 11 बार अभिमंत्रित कर जिसके घर में फेंक दे उसका उच्चाटन हो जायेगा।
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स्तम्भन प्रयोग :
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तीन लौंग, हवन की राख, तथा श्मशान की राख तीनों को मिलाकर मंत्र से अभिमंत्रित कर जिसके घर में गाड़ दे उसका स्तम्भन हो जायेगा।